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खुद पर विश्वास This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

खुद पर विश्वास

रोज शाम की तरह, आज भी आनंद अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया। उसका एक बहुत अच्छा दोस्त था, उत्कर्ष, 14 साल का। दोनों पतंग उड़ा रहे थे, तभी अचानक उनकी पतंग कट गई। उसे खोजते हुए, दोनों पास के गांव में पहुंच गए। कटी पतंग उन्हें मिल गई। वहीं पर, दोबारा पतंग उड़ाने लगे। पास में एक कुआं था। उसका दोस्त, अचानक, कुएं में गिर गया। आनंद डर गया, मदद के लिए चिल्लाया, लेकिन दूर-दूर तक तक कोई नहीं था। तभी उसकी नंजर, कुएं पर रखी, रस्सी की तरफ गई। उसने बाल्टी समेत, वो रस्सी कुंए में फेंकी और उत्कर्ष को उसे, पकड़ने को बोला। उसे बाहर निकालने की, आनंद पूरी कोशिश करने लगा। लगातार, पूरे जोर से, रस्सी को खींचता रहा। उसने पूरी ताकत लगा दी और अंत में, उत्कर्ष को बाहर निकाल लिया।

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दोनों वापस घर गए। आनंद घर पहुंचा, और हमेशा की तरह, उसने पापा को सारा किस्सा बता दिया। कंचन कहने लगी- उत्कर्ष तुमसे बहुत बड़ा है, और तुमने उसे कुएं से बाहर निकाला। कहानियां कम बनाओ। उसकी मम्मी को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि वो सच बोल रहा है या झूठ। तब उनके पिता ने कहा- मुझे भरोसा है कि तुमने ऐसा किया है। तो कंचन ने कहा- लेकिन ऐसा कैसे संभव है। उसकी मम्मी ने कहा- 10 साल के बच्चे में इतनी ताकत, आई कहां से। तब उनके पापा ने कहा- इसका जवाब ये है कि, उस वक्त, वहां ये कहने वाला कोई नहीं था कि, तुम नहीं कर सकते। जो कहते हैं कि तुम्हारा लक्ष्य बहुत बड़ा है, उनके लिए बेहरे बन जाओ। सिर्फ अपने सपनों और लक्ष्य की सुनो।